Sunday 19 January 2014

सविँधान बिना समाज , धर्म बिना साम्राज्य

कभि ध्यान से सोचने कि बात है , 
धार्मिक मसीहाओ से पेहले , 
समाज किसकी सुनता था ?किस से डरता था ?
राजा के नियम , अनुसाशन किस पर अधारित थे ?
किसि को पढ़ने से क्या लाभ मिलता ?

जब हम किसि चीज़ या अवस्था का सिद्ध कारन नहि जानते ,
तब हम उसे कुदरत या भगवान कि माया कहते है , 
जिसको झुटलाने का किसि का सामर्थ नहि होता!

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