कभि ध्यान से सोचने कि बात है ,
धार्मिक मसीहाओ से पेहले ,
समाज किसकी सुनता था ?किस से डरता था ?
राजा के नियम , अनुसाशन किस पर अधारित थे ?
किसि को पढ़ने से क्या लाभ मिलता ?
तब हम उसे कुदरत या भगवान कि माया कहते है ,
जिसको झुटलाने का किसि का सामर्थ नहि होता!
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